
यश विश्वकर्मा @ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक चक्रधर समारोह 2024 का आयोजन इस वर्ष भी भव्यता व सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के साथ किया जा रहा है। इस 10 दिवसीय आयोजन में देश-विदेश के प्रसिद्ध कलाकार अपनी कला का सम्पूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। यह समारोह छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर के सबसे महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक है, जिसे देखने के लिए हर वर्ष देशभर से कला प्रेमी उमड़ते हैं।
इस बार भी रायगढ़ घराने की ख्याति प्राप्त नृत्यांगना वासंती वैष्णव और उनकी सुपुत्री ज्योति श्री बोहिदार वैष्णव को 10 सितंबर को अपनी विशेष कथक प्रस्तुति देने का आमंत्रण मिला है। वासंती वैष्णव, रायगढ़ घराने की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित नृत्यांगना हैं, जिन्होंने अपनी अनोखी शैली और गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाया है। उनकी बेटी ज्योति श्री भी अपनी माँ के पदचिह्नों पर चलते हुए कथक के क्षेत्र में अपना नाम बना रही हैं।
इस आयोजन के पहले दिन, प्रतिष्ठित कलाकार पद्मश्री हेमा मालिनी ने अपनी नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हेमा मालिनी के साथ अन्य सात पद्मश्री सम्मानित कलाकार भी समारोह का हिस्सा बने। समारोह की इस भव्यता और कलाकारों की उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष बना दिया है।
10 सितंबर को होने वाली प्रस्तुति में वासंती और ज्योति अपने नृत्य की शुरुआत ‘गंगावतरण’ से करेंगी। इसके बाद वे रायगढ़ घराने की पारंपरिक कथक बंदिशों का प्रदर्शन करेंगी, जिनमें ‘कड़क बिजली’, ‘कृष्णलास्य’, ‘राधालास्य’ और ‘मधुकरी’ जैसी विशेष रचनाएँ शामिल हैं। इस प्रस्तुति का समापन राजा चक्रधर सिंह द्वारा रचित प्रसिद्ध ठुमरी ‘नवरंस’ से होगा, जो रायगढ़ घराने की विशेष पहचान मानी जाती है।
इस नृत्य प्रस्तुति में वासंती और ज्योति के साथ ओजस्विता रॉयल, शुभंगी रॉय, अनन्या श्रीवास, समृद्धि मानिकपुरी और साईं श्री इजारदार जैसी युवा नृत्यांगनाएँ सहयोगी के रूप में प्रस्तुति देंगी। इस कार्यक्रम के संगीत पक्ष में भी प्रतिष्ठित कलाकार शामिल हैं, जिनमें पं. सुनील वैष्णव (पढ़ंत), दीपक दास महंत (तबला), देवेंद्र गोस्वामी (गायन), सेभ्य साहू (बांसुरी), प्रिंस ठाकुर (ऑक्टोपेड) और इक्छेश (सितार) का नाम शामिल है।
समारोह की यह विशेष प्रस्तुति यूट्यूब पर लाइव प्रसारित की जाएगी, ताकि देश-विदेश के दर्शक इस अनोखी नृत्य कला का आनंद उठा सकें। चक्रधर समारोह 2024 ने एक बार फिर से रायगढ़ घराने की शास्त्रीय कथक नृत्य शैली को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत कर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को गौरवान्वित किया है।