
- बिलासपुर में 250 से अधिक प्रतिभागियों ने जाना मन की शांति का विज्ञान
- शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में रजत जयंती वर्ष पर हुआ आयोजन
- विशेषज्ञों ने बताए तनाव से मुक्ति के उपाय
यश विश्वकर्मा @ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के रजत जयंती समारोह के अवसर पर शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय बिलासपुर में सोमवार को “मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जी.आर. चतुर्वेदी ने की।
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ. कृष्ण शर्मा “खांडल” तथा राज्य मानसिक चिकित्सालय, सेंदरी के सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत रंजन पांडेय उपस्थित रहे।
पहले सत्र में डॉ. कृष्ण शर्मा ने कहा कि “आयुर्वेद केवल शरीर नहीं, मन की चिकित्सा का भी विज्ञान है। मानसिक संतुलन ही वास्तविक स्वास्थ्य का आधार है।” उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक ग्रंथों में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और उपचार पद्धतियों का विस्तृत वर्णन है।
दूसरे सत्र में प्रशांत रंजन पांडेय ने सभी प्रतिभागियों को क्रियात्मक गतिविधियों के माध्यम से तनाव की पहचान और उससे निपटने के व्यावहारिक तरीके सिखाए।
कार्यक्रम में जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. यशपाल ध्रुव, भारती आयुर्वेद महाविद्यालय दुर्ग के प्राचार्य डॉ. मानस रंजन होता, तथा जिले के 30 आयुष चिकित्साधिकारी सहित 250 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए।
सभी सहभागी चिकित्सकों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
संगोष्ठी को सफल बनाने में डॉ. विद्या भूषण पांडेय, डॉ. विवेक दुबे, डॉ. प्रशांत निषाद, डॉ. प्रवीण मिश्रा, डॉ. निधि मरकाम, डॉ. नोमिता दीवान और डॉ. कविता प्रधान की विशेष भूमिका रही।
रजत जयंती वर्ष पर मन और शरीर के संतुलन का संदेश देने वाला यह आयोजन प्रतिभागियों के लिए प्रेरणादायी साबित हुआ।