
मोहर्रम की सातवीं रात चिंगराजपारा में उमड़ा अकीदतमंदों का सैलाब

बिलासपुर। शहर में शुक्रवार को सुबह से हो रही बारिश के बावजूद मोहर्रम की सातवीं रात का माहौल बेहद रुहानी और जोश से भरा रहा। खासतौर पर चिंगराजपारा शारदा चौक स्थित अजमेरी सैय्यद शाह इमामबाड़ा में हुई परंपरागत सवारी में मुजावर पीताम्बर विश्वकर्मा की भूमिका केंद्र में रही।
मुजावर पीताम्बर विश्वकर्मा पिछले कई वर्षों से मोहर्रम के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इस बार भी उन्होंने पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ इमामबाड़े में सवारी उठाई। जैसे ही सवारी उठाई गई, इमामबाड़ा ‘या हुसैन’ की सदाओं से गूंज उठा। इसके बाद परंपरागत अलाव खेला गया, जिसे देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में अकीदतमंद उमड़ पड़े।
बारिश के कारण भले ही शहर के अन्य हिस्सों में शेर नाच और सवारियों पर असर पड़ा हो, लेकिन चिंगराजपारा में पीताम्बर विश्वकर्मा की अगुवाई में आयोजित कार्यक्रम ने मोहर्रम की रूहानी फिजा को जीवंत बनाए रखा। उनकी अगुआई में उठी सवारी ने समाज के बीच एकजुटता और आस्था का संदेश दिया।
सातवीं रात की तकरीर और मजलिसों में शोहदाए कर्बला की अजीम कुर्बानियों को याद किया गया। मातमदारों ने मातम कर हुसैन की शहादत को सलामी दी। अब मोहर्रम के आठवें दिन, यानी पवित्र जुमा पर, मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदायगी के बाद मरिमाई कब्रिस्तान जाकर अपने मरहूमीनों की मगफिरत के लिए दुआ करेंगे।
मुजावर पीताम्बर का कहना है कि “यह परंपरा सिर्फ मजहब नहीं, बल्कि इंसानियत का पैगाम है। हुसैन की कुर्बानी हमें अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े रहने की सीख देती है।”