रिटायर्ड जज सुरेन्द्र को मिलेगा “बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल सम्मान”, 6 नवंबर को नवा रायपुर में भव्य समारोह में होंगे सम्मानित

समाज और न्यायिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का सम्मान
निःशुल्क कानूनी मार्गदर्शन और समाजसेवा में महत्वपूर्ण भूमिका
न्यायिक सुधारों में सक्रिय योगदान, गवाहों के भत्ते में बढ़ोतरी की पहल
“सुप्रीम कोर्ट ऑन नारकोटिक ड्रग्स” पुस्तक से विधि जगत में एक अलग पहचान

छत्तीसगढ़ शासन से श्री तिवारी के पास आया लेटर

यश विश्वकर्मा @ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में न्यायिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले और बिलासपुर के अज्ञेयनगर निवासी रिटायर्ड ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र तिवारी को छत्तीसगढ़ शासन ने “बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल सम्मान” से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। विधि विभाग द्वारा 25 अक्टूबर 2024 को जारी पत्र में इसकी घोषणा की गई, जिसमें बताया गया कि आगामी 6 नवंबर को नवा रायपुर में आयोजित विशेष समारोह में श्री तिवारी को एक लाख रुपये की नगद राशि और सम्मान-पत्र प्रदान किया जाएगा।

रिटायर्ड ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र तिवारी

यह पुरस्कार विधि के क्षेत्र में सेवा और समाज के प्रति उनके निस्वार्थ योगदान को मान्यता देने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की एक विशेष पहल है।

श्री तिवारी का न्यायिक क्षेत्र में कार्यकाल बेहद प्रेरणादायक और योगदानों से भरा रहा है। अपने सेवा-काल के दौरान उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले दिए, जो छत्तीसगढ़ राज्य के विधि क्षेत्र में एक मिसाल बने। न्यायिक कार्यकाल के बाद भी श्री तिवारी का विधि के प्रति समर्पण खत्म नहीं हुआ।

उन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान का उपयोग समाज की सेवा में किया। विशेष रूप से निःशुल्क कानूनी सलाह और न्यायिक परीक्षा में तैयारी कर रहे युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान कर। पिछले कई वर्षों से वे छात्रों को सिविल जज परीक्षा की तैयारी के लिए निःशुल्क मार्गदर्शन दे रहे हैं, जिससे अनेक युवाओं को विधि के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरणा मिली है।

बिलासपुर की न्यायिक अकादमी में भी श्री तिवारी का योगदान उल्लेखनीय है। वे अकादमी में विभिन्न कानूनी विषयों पर 50 से अधिक व्याख्यान दे चुके हैं। जो नव-नियुक्त न्यायाधीशों और विधि के छात्रों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हुए हैं। उनकी शिक्षण शैली और कानूनी मामलों पर उनकी गहरी समझ अकादमी के सदस्यों और छात्रों ने खूब सराही है। श्री तिवारी ने अपने व्याख्यानों में जटिल कानूनी मुद्दों को सरल भाषा में समझाने की कला विकसित की है, जो छात्रों को सीखने में मददगार साबित होती है। उनके इन प्रयासों ने उन्हें न्यायिक क्षेत्र में एक आदर्श शिक्षाविद के रूप में स्थापित किया है।

श्री तिवारी की लिखी गई पुस्तक “सुप्रीम कोर्ट ऑन नारकोटिक ड्रग्स” ने भी न्यायिक समुदाय में एक विशेष स्थान हासिल किया है। इस पुस्तक में उन्होंने नारकोटिक ड्रग्स से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का विश्लेषण किया है। यह पुस्तक न केवल न्यायाधीशों के लिए बल्कि अधिवक्ताओं और अभियोजकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संसाधन बन गई है। इसमें प्रस्तुत किए गए कानूनी दृष्टिकोण और विश्लेषण विधि के छात्रों और पेशेवरों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। पुस्तक को न्यायिक और विधि समुदाय में अत्यधिक सराहा गया है, जो श्री तिवारी के गहन शोध और विधि के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

श्री तिवारी न केवल न्यायिक शिक्षण और सलाह में सक्रिय रहे हैं, बल्कि उन्होंने विधि में सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। उनकी पहल पर ही सितंबर 2024 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में अभियोजन गवाहों के खुराक भत्ते को 100 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया। इस बदलाव से उन गवाहों को लाभ मिला जो अपनी निजी जिम्मेदारियों को निभाते हुए न्यायिक प्रक्रिया में भाग लेते हैं। श्री तिवारी ने इस विषय को मजबूती से उठाया और गवाहों के हितों को न्यायिक क्षेत्र में प्राथमिकता देने के लिए सफलतापूर्वक कार्य किया। यह उनके सेवा भाव और न्याय के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।
श्री तिवारी का जीवन न्यायिक सेवा के प्रति निष्ठा, समर्पण और समाज के प्रति सेवा भाव का प्रतीक है। उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव से न केवल न्यायिक क्षेत्र को समृद्ध किया है, बल्कि विधि के क्षेत्र में आने वाले युवाओं को भी प्रेरणा दी है। वे अपने निःस्वार्थ सेवा कार्यों से समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते आ रहे हैं और उनका यह योगदान उनके व्यक्तित्व को आदर्श बनाता है। उनकी सेवाओं का महत्व उनके द्वारा निभाई गई विभिन्न भूमिकाओं और समाज के प्रति उनके योगदान में स्पष्ट रूप से झलकता है।

“बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल सम्मान” प्राप्त करना उनके कार्यों की ऊंचाई को मान्यता देना है। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना है, बल्कि यह राज्य द्वारा उनके द्वारा किए गए सेवा कार्यों की औपचारिक मान्यता भी है। बिलासपुर के निवासियों के लिए यह गर्व का क्षण है और उनके सम्मान से पूरे छत्तीसगढ़ में गर्व और खुशी की लहर दौड़ गई है।

श्री तिवारी की यह उपलब्धि यह साबित करती है कि समर्पण और सेवा भाव के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाना संभव है।