

यश विश्वकर्मा @ बिलासपुर। नगर निगम प्रशासन और पटाखा व्यापारी संघ के बीच इस बार दिवाली सीजन से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है। पटाखा कारोबारियों ने नगर निगम और पुलिस प्रशासन पर मनमाने शुल्क वसूली के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पहले कभी लगाए नहीं गए व्यवसाय शुल्क और पिछले साल के बकाया की मांग इस साल अचानक कर दी गई है, जो उनके लिए असहनीय है।
बिना सफाई और फायर ब्रिगेड, फिर भी बकाया क्यों?

पिछले दो साल से दिवाली का पटाखा बाजार पुलिस मैदान में लग रहा था, लेकिन इस बार इसे अरपा पार साइंस कॉलेज मैदान में स्थानांतरित करने की योजना है। कारोबारियों का कहना है कि पिछले साल पुलिस मैदान में 98 दुकानें लगाई गई थीं, जिसमें से 13 लाख रुपये किराए के रूप में एकत्र किए गए और 12 लाख रुपये पुलिस विभाग को दिए गए। लेकिन इसके बावजूद न तो नगर
निगम ने सफाई की व्यवस्था की, न ही फायर ब्रिगेड भेजी। व्यापारियों ने बताया कि मैदान छोड़ते समय उन्हें खुद ही चंदा करके 18 हजार रुपये में सफाई करानी पड़ी थी। ऐसे में जब पिछला बकाया नहीं था और सफाई का काम उन्होंने खुद करवाया था, तो अब नगर निगम द्वारा 4500 रुपये प्रति व्यापारी से बकाया क्यों मांगा जा रहा है, यह समझ से परे है।
पहली बार लगाया गया व्यवसाय शुल्क
इस साल पहली बार पटाखा व्यापारियों से 5500 रुपये का व्यवसाय शुल्क मांगा जा रहा है, जो अब तक कभी नहीं लिया गया था। कारोबारियों का सवाल है कि यह नया शुल्क क्यों लिया जा रहा है, और क्या इसके लिए एमआईसी (महापौर परिषद) से कोई प्रस्ताव पास हुआ है या नहीं।
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि रेलवे क्षेत्र में वर्षों से पटाखा बाजार लग रहा है, लेकिन वहां के व्यापारियों से नगर निगम कोई शुल्क नहीं लेता। वहीं, शहर के गरीब पटाखा कारोबारियों से 12 दिन के लिए भारी किराया और व्यवसाय शुल्क लिया जा रहा है।
चंदे का हिसाब नहीं, पुलिस और प्रशासन के लिए भी वसूली

पटाखा व्यापारियों का कहना है कि उनसे हर साल जिला पुलिस और नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों के पटाखे और मिठाई के नाम पर प्रति दुकान 2250 रुपये वसूले जाते हैं। लेकिन इस पैसे का हिसाब कभी नहीं दिया गया। आरोप यह भी है कि पिछले साल जब 13 लाख रुपये किराए के रूप में जमा कराए गए थे, तब बचे हुए 1 लाख रुपये में से प्रति व्यापारी डेढ़ हजार रुपये वापस करने का वादा किया गया था, लेकिन आज तक किसी को पैसे नहीं मिले।
बाजार के बदले थानों में सेटिंग कर अपने स्थायी जगहों में दुकानें लगाने की योजना
प्रशासन की मनमानी और भारी शुल्क से नाराज बड़े पटाखा कारोबारियों ने कहा है कि वे इस बार शहर के आउटर में स्थित साइंस कॉलेज मैदान में दुकानें लगाने के बजाय अपने स्थायी ठिकानों पर ही पटाखे बेचेंगे। उनका मानना है कि थानों में “सेटिंग” करके वे अपने पुराने ग्राहकों को वहीं से पटाखे बेच सकते हैं, क्योंकि उनके ग्राहक किसी भी स्थान से पटाखे खरीदने को तैयार हैं।
राजनीतिक हस्तक्षेप से समाधान की आस
पटाखा कारोबारियों ने नगर निगम सभापति और विधायक अमर अग्रवाल से मिलकर अपनी समस्याएं रखी हैं। उन्होंने निगम आयुक्त से बातचीत कर स्थिति से अवगत कराने का प्रयास किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
पटाखा व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुनील वाजपेयी ने कहा, “हम प्रशासन से लड़ाई नहीं कर सकते, लेकिन अपनी बात रख रहे हैं। अगर व्यापारी थानों में सेटिंग्स कर अपने स्थायी जगहों पर दुकान लगाने की बात कर रहे हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं। वैसे भी पूरे शहर में पटाखे बेचे जा रहे हैं। प्रशासन को चंदा देने की बात गलत है, लेकिन थोड़ा-बहुत करना पड़ता है, ये आंतरिक मामला है।”
कारोबारियों में बढ़ता असंतोष
पटाखा कारोबारियों में इस बार प्रशासन की नीतियों को लेकर काफी असंतोष है। उनका कहना है कि पहले कभी ऐसे शुल्क नहीं लगे और अब अचानक यह बोझ डाल दिया गया है। छोटे कारोबारी इस अतिरिक्त वित्तीय बोझ से परेशान हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही प्रशासन उनकी समस्याओं का समाधान करेगा, ताकि इस दिवाली वे अपने व्यापार को सुचारू रूप से चला सकें।