वन विभाग की कार्रवाई: जंगल से उठाए गए मोर के अंडों को देसी मुर्गी से कराया हैचिंग, 5 चूजे बरामद, आरोपी गिरफ्तार

वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत सख्त कदम, टीम की मुस्तैदी और सतर्कता से तस्करी विफल
यश विश्वकर्मा @ बिलासपुर। वन विभाग ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मंजूरपहरी गांव में छापामार कार्रवाई कर मोर के पांच चूजों को तस्करी से बचाया है। आरोपी गुलाब सिंह मरावी, जो जंगल से अंडे उठाकर उन्हें देसी मुर्गी से हैचिंग करवा रहा था, उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इस घटना ने वन्य जीव संरक्षण के प्रति लोगों को सतर्क करने की जरूरत को फिर से उजागर किया है।

मुखबिर की सूचना पर वन विभाग ने की छापामार कार्रवाई
बिलासपुर वन मंडल के अधिकारियों को मुखबिर से सूचना मिली थी कि मंजूरपहरी के जंगल क्षेत्र से मोर के अंडे चोरी किए जा रहे हैं। सूचना की गंभीरता को देखते हुए, वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई का निर्णय लिया। वन परिक्षेत्र अधिकारी बिलासपुर के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें सीपत सर्किल के फॉरेस्ट अधिकारी, बीट फॉरेस्ट अधिकारी और उड़नदस्ता प्रभारी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
टीम ने योजनाबद्ध तरीके से मंजूरपहरी गांव में स्थित गुलाब सिंह मरावी के घर पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान आरोपी के कब्जे से मोर के पांच चूजे बरामद किए गए, जो कि उसके घर के आस-पास और बाड़ी में मुर्गियों के साथ विचरण कर रहे थे। कड़ी पूछताछ के बाद गुलाब सिंह ने अपना अपराध स्वीकार किया।

जंगल से अंडे उठाकर कराई हैचिंग
गुलाब सिंह ने बताया कि उसने मंजूरपहरी जंगल क्षेत्र, जो जलसट्टा तालाब के पास स्थित है, वहा से मोर के पांच अंडे उठाए थे। इसके बाद उसने उन अंडों को अपने घर में पाली गई देसी मुर्गी के नीचे रखकर हैचिंग करवाई। लगभग 15-20 दिनों के भीतर अंडों से मोर के चूजे निकले, जिन्हें वह अपने घर के परिसर में ही पाल रहा था। गुलाब सिंह का मानना था कि वह इन मोर के चूजों को बिना किसी समस्या के पाल लेगा, लेकिन वन विभाग की सतर्कता के कारण उसका यह प्रयास विफल हो गया।

वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत कार्रवाई
गुलाब सिंह मरावी को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत गिरफ्तार किया गया। मोर को भारतीय वन्यजीव संरक्षण कानून के अंतर्गत संरक्षित प्रजाति माना जाता है, और इसके अंडे या चूजों को उठाना कानूनी अपराध है। वन विभाग के अधिकारियों ने आरोपी को तुरंत न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

वन्यजीवों के संरक्षण की जरूरत
इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया कि वन्यजीवों की तस्करी और उन्हें नुकसान पहुंचाने के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। मोर, जो भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, उसकी सुरक्षा और संरक्षण वन विभाग की प्रमुख प्राथमिकता है। वन अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि यदि उन्हें कहीं भी वन्यजीवों के साथ दुर्व्यवहार या तस्करी की कोई सूचना मिले, तो वे तुरंत वन विभाग को सूचित करें।

टीम में ये रहे शामिल
इस सफल अभियान में वन विभाग की टीम की मुस्तैदी और त्वरित कार्रवाई की सराहना की जा रही है। सीपत सर्किल फॉरेस्ट अधिकारी अजय बेन, बीट फॉरेस्ट अधिकारी राजकुमार चेलकर, सचिन राजपूत, उड़नदस्ता प्रभारी संगीता तिर्की और अन्य अधिकारी लोकमणि त्रिपाठी, सूरज मिश्रा, जान केनेडी और पाण्डेय की टीम ने इस कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे अपराधों पर आगे भी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी, जिससे वन्यजीवों का संरक्षण और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।