छंदशाला उदात्त भावों की पारिवारिक पाठशाला है -ओमप्रकाश भट्ट

छंदशाला की काव्य गोष्ठी और कार्यशाला संपन्न
बिलासपुर। छंदशाला के तत्वावधान में गीत कार्यशाला और काव्यगोष्ठी का आयोजन सांई आनंदम् उसलापुर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता और उपस्थित गीतकारों के गीत की समीक्षा वरिष्ठ गीतकार ओमप्रकाश भट्ट ने की। कार्यक्रम का सफल संचालन छंदशाला की संयोजिका और कवयित्री डॉ. सुनीता मिश्र ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश भट्ट ने छंदशाला के इस गीत विषयक कार्यशाला को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि साहित्यकार समाज की विसंगतियों पर लिखे और जीव को ईश्वर की ओर खिंचने का प्रयास भी करे। आज के इस गीत गोष्ठी में छंदशाला के सभी रचनाकारों ने यह कार्य किया है।आज छंदशाला उदात्त भावों से परिपूर्ण पारिवारिक पाठशाला है और आज की कार्यशाला स्नेह बंधन से बंधा पारिवारिक आयोजन। इस आयोजन में छंदशाला के सभी रचनाकार उपस्थित रहे। इस काव्य गोष्ठी की खास बात यह रही कि गोष्ठी पूर्णतः गीत पर आधारित थी। जिसमें छंदशाला के गीतकारों ने गीत की प्रस्तुति दी और उसके बाद वरिष्ठ गीतकार ओमप्रकाश भट्ट ने सभी गीतकारों के गीतों की समीक्षा की। जिसमें गीतों के लेखन और प्रस्तुतिकरण संबंधित आवश्यक सुझाव भी दिए गए। आपको बता दें कि शहर में आपदा काल में गठित छंदशाला इकलौती ऐसी संस्था है जिसमें छंदबद्ध रचनाओं का नियमित अभ्यास, लेखन, समीक्षा और कार्यशाला आयोजित की जाती है। गीत संबंधी यह दूसरी कार्यशाला थी। छंदशाला के कवि और कवियत्रियों का यह समूह शहर और शहर के बाहर भी मंचीय प्रस्तुतियों से लोगों को काव्य रसधार में भिगो रहा है।आज की कार्यशाला में 15 कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया और उपस्थित साहित्य रसिकों ने गीतों को अनुपम बताया। गीतकार बुधराम यादव ने ईश्वर और जीवन बीच क्यों रहे दुराव, कवि विजय तिवारी ने तुमसा कोई नहीं जग में, डॉ सुनीता मिश्र ने श्रीराम जब लौटे अयोध्या,विनय पाठक ने माता तेरे द्वार में है मोक्ष का द्वार, शैलेंद्र गुप्ता ने रुठी है तो मनाऊं कैसे,पी.डी.वैष्णव ने हम आंधी ला देंगे, सतीश पांडेय उद्यान ने कुछ बात करो, मनीषा भट्ट ने दानों की गिनती में मतदान, रेखराम साहू ने हे दयामय हे कृपामय, अमृत पाठक ने जीर्ण कुटिया में अभिनंदन, बसंत पांडेय ने राधा माधव प्रेम अमिट, मानिकपुरी ने निर्मल मया ह छोड़े नई छोडाय, हूप सिंह ठाकुर ने होते पैसों के पेड़ अगर, पूर्णिमा तिवारी ने कहो तुम्हें लिखा दूँ, अशर्फी लाल सोनी ने जरा देर लगेगी हास्य गीत गाकर गाकर वाह वाही लूटी। सुमधुर गीतों की संध्या में श्रोता और कविगण झूमते रहे। छंदशाला के काव्यानुशासित वातावरण में यह काव्य गोष्ठी अमिट छाप छोड़ गयी। जिसमें श्रोता आकंठ डूबे रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन और आभार प्रदर्शन कवयित्री डॉ.सुनीता मिश्र ने किया। कार्यक्रम में छंदशाला परिवार के सदस्य एवं नगर के कवि, रचनाकार एवं श्रोता उपस्थित थे।