डॉ. बांधी अब तक मस्तूरी के लिए सबसे अधिक 92 कार्यों को स्वीकृत कराने में रहे सफल, मस्तूरी में बहाई विकास की गंगा

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार थम गया है और अब प्रत्याशी व्यक्तिगत संपर्क कर अपने लिए वोट मांग रहे हैं। वोटर को अपने पक्ष में करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहे है। अलग-अलग जाति और समाज के कथित नेताओं से सौदा कर अधिक से अधिक वोट बटोरने की कोशिश कर रहे हैं। वोटर लालच में अपना भविष्य बेचता है, फिर बाद में भ्रष्टाचार और विकास न होने के नाम पर रोता है जबकि उसके पास इस दौरान बेहतर प्रत्याशी चुनने का विकल्प मौजूद है। लालच में वोटर अपने वोट की असली कीमत समझ ही नहीं पाता।
जबकि विगत 5 सालों के आंकड़े देखकर ही उसे वोट करना चाहिए। आखिर किस विधायक ने अपने क्षेत्र में कितना विकास कार्य किया? क्या विधायक ने विधायक निधि का संपूर्ण उपयोग किया या फिर उनकी राशि लैप्स हो गई? इससे बेहतर पैमाना कुछ नहीं हो सकता। साल 2023- 24 में विधायकों को विधायक निधि के तौर पर दो की बजाय चार करोड रुपए दिए गए। फंड डबल होने के बावजूद कई विधायक इसे खर्च तक नहीं कर सके। विधायक निधि से कार्यों की स्वीकृति के मामले में कांग्रेस के विधायक सबसे पिछड़े हैं। उनके एक भी कार्य को प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिली। इसके पीछे किसी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन दूसरी ओर मस्तूरी से भाजपा विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी सर्वाधिक कार्य स्वीकृत कराने में कामयाब हुए हैं। एक तरफ जहां अधिकांश विधायकों के पास फंड शेष रह गया है, तो वही डॉ. कृष्णमूर्ती बांधी ने आवंटन से अधिक की अनुशंसा कर दी है। मस्तूरी विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी ने तो 4 करोड़ 25000 रुपए की अनुशंसा की है, जिनके 69 कार्य स्वीकृत भी हो चुके हैं, इसी के साथ प्रभारी मंत्री के अनुशंसा को जोड़ दे तो स्वीकृत कार्यों की संख्या 92 तक पहुंच गई है। इस तरह से वे सर्वाधिक कार्य कराने वाले विधायक बने।
मगर दुर्भाग्य से मतदाता विकास कार्य को नहीं देखता जबकि उसे देखना यह चाहिए कि उनके पूरे क्षेत्र के विकास के लिए किसने 5 साल तक ईमानदारी से प्रयास किया। किसने विधायक निधि का संपूर्ण उपयोग कर क्षेत्र की जनता के लिए सुविधाएं जुटाई। पूरी ईमानदारी के साथ अपने क्षेत्र में विकास और अधोसंरचना के कार्य करता है तो इससे आने वाली कई पीढ़ियों को लाभ मिलता है। क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की संभावनाएं बनती है, इसलिए चुनाव के समय प्रलोभन मुक्त एवं निर्भीक होकर केवल उस प्रत्याशी को वोट देना चाहिए, जिसके एजेंडे में ईमानदारी पूर्वक क्षेत्र की विकास ही प्राथमिकता हो। जो नेता वोट के बदले नोट देगा, स्पष्ट है कि वह चुनाव जीतने के बाद इसकी भरपाई भी करेगा। चुनाव को लोकतंत्र का महापर्व कहा जाता है। यह एक यज्ञ है जिसमे वोटर अपनी वोट की आहुति अर्पित करता है। जिस तरह यज्ञ में केवल पवित्र वस्तुएं अर्पित की जाती है, उसी तरह इस यज्ञ में भी आपका वोट पूरी तरह पवित्र होना चाहिए और ऐसा तभी होगा जब आप अपना वोट बेचने की बजाय उसे देश, प्रदेश और क्षेत्र के हित में देंगे। भारत का हर नागरिक देशभक्त है। भारतीय परंपरा में मातृभूमि को स्वर्ग और माता से भी ऊपर रखा जाता है, इसलिए चंद रुपयों के लिए देश का सौदा करने की बजाय उस नेता को चुने, जिसने मातृभूमि की सेवा करने का विकल्प चुना है।